31 अक्तूबर, 2011

ज्ञानपीठ विजेता श्रीलाल शुक्ल नहीं रहे।

श्रीलाल शुक्ल नहीं रहे। 28 अक्तूबर को लखनऊ में आपका निधन हुआ था।


श्रीलाल शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश में सन् 1925 में हुआ था तथा उनकी प्रारम्भिक और उच्च शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 मे पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है।[ उन्हें 2009 का भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार अमरकांत के साथ प्राप्त हुआ।
रचनायें
उपन्यास:

सूनी घाटी का सूरज · अज्ञातवास · रागदरबारी · आदमी का ज़हर · सीमाएँ टूटती हैं
मकान · पहला पड़ाव · विश्रामपुर का सन्त · अंगद का पाँव · यहाँ से वहाँ · उमरावनगर में कुछ दिन
कहानी संग्रह: यह घर मेरा नहीं है · सुरक्षा तथा अन्य कहानियां · इस उम्र में
व्यंग्य संग्रह: अंगद का पांव · यहां से वहां · मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनायें · उमरावनगर में कुछ दिन · कुछ जमीन पर कुछ हवा में · आओ बैठ लें कुछ देर
आलोचना: अज्ञेय: कुछ राग और कुछ रंग
विनिबन्ध: भगवती चरण वर्मा · अमृतलाल नागर
बाल साहित्य: बढबर सिंह और उसके साथी